कुंडई, गोवा: गोवा की पावन तपोभूमि पर उत्तराम्नाय ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज और द्वारका-शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती महाराज का भव्य स्वागत किया गया। इस विशेष अवसर पर, श्रीदत्तपद्मनाभ पीठ के प्रमुख पद्मश्री सद्गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामीजी ने वैदिक मंत्रोच्चार, शंखनाद और नगारे के साथ दोनों शंकराचार्यों का आदर-सत्कार किया।
इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी ने गोवा की “गोभूमी” में गो माता के प्रति सम्मान और श्रद्धा का सन्देश दिया। उन्होंने कहा कि गोवा का नाम “गो माता” के नाम पर रखा गया है, और गोवा सरकार को गो माता को “राज्यमाता” और केंद्र सरकार को “राष्ट्रमाता” घोषित करना चाहिए।
धार्मिक कार्यों की प्रशंसा
सभा में दोनों शंकराचार्यों ने श्रीदत्तपद्मनाभ पीठ के धार्मिक और समाज सेवा के कार्यों की सराहना की। उन्होंने पीठ के संस्कृत शिक्षा, चतुर्वेद पाठशाला जैसे कार्यों को सराहा और कहा कि इस पीठ ने “वसुधैव कुटुंबकम्” की सोच को बढ़ावा देते हुए हिंदू धर्म की शिक्षाओं को वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया है। इसी क्रम में, दोनों शंकराचार्यों ने सद्गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामीजी को श्रीदत्तपद्मनाभ पीठ का प्रमुख घोषित किया, और उनके धर्म, समाज और गो माता के संरक्षण के कार्यों की सराहना की।
ऐतिहासिक क्षण: गो प्रतिष्ठा ध्वज का अनावरण
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा “गो प्रतिष्ठा ध्वज” का अनावरण, जो तपोभूमि पर लहराया गया। इसे गोवा में सनातन संस्कृति और गो माता की महत्ता का प्रतीक मानते हुए स्थापित किया गया। इस ध्वजारोहण के साथ गोवा में एक नई परंपरा की शुरुआत मानी जा रही है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर स्वामी ब्रह्मानंद वैदिक गुरुकुल एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंटरनेशनल सद्गुरु गुरुकुलम् के छात्र, गो प्रेमी, गोपालक और हजारों की संख्या में गोवा के भक्त उपस्थित रहे।