कारोबार संवाद

मारवाड़ का एकलव्य: गूगल-यूट्यूब को बनाया गुरु, और जीता डिजिटल ब्रांडिंग का महाभारत!

बीकानेर से निकले डिजिटल ब्रांडिंग के योद्धा मेहुल पुरोहित की कहानी

बीकानेर, राजस्थान का नाम सुनते ही रेत के टीलों और स्वादिष्ट भुजिया की याद आती है। लेकिन अब इस शहर का नाम डिजिटल दुनिया में भी गूंज रहा है, और इसका श्रेय जाता है मेहुल पुरोहित को। इस “मारवाड़ के एकलव्य” ने गूगल और यूट्यूब को अपना गुरु मानकर डिजिटल ब्रांडिंग और इन्फ्लूएंसर मैनेजमेंट की दुनिया में महाभारत जीत ली है।

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गुरु नहीं, गूगल और यूट्यूब से सीखा

8 फरवरी 2001 को बीकानेर में जन्मे मेहुल का सफर आसान नहीं था। उनके पिता, लेट कृती कुमार पुरोहित का निधन उनके बचपन में ही हो गया था। इसके बाद उनकी मां, मधु पुरोहित ने छोटे-छोटे काम करके उन्हें पढ़ाया और संस्कार दिए। मेहुल ने 11वीं कक्षा में ही ग्राफिक डिज़ाइनिंग में रुचि लेनी शुरू कर दी। किसी कोचिंग या ट्रेनिंग सेंटर का सहारा नहीं लिया, बल्कि गूगल और यूट्यूब से खुद ही सबकुछ सीखा।

2021 में बनाई मल्टीफेज डिजिटल

मेहुल ने 2021 में अपनी कंपनी मल्टीफेज डिजिटल की शुरुआत की। यह कंपनी आज बॉलीवुड सितारों, सिंगर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स के लिए डिजिटल ब्रांडिंग और मार्केटिंग की पहली पसंद बन चुकी है। उनकी कंपनी ने न सिर्फ भारत में, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी नाम कमाया है।

मां बनी प्रेरणा और भाई बने बैकबोन

मेहुल अपनी मां को अपना रोल मॉडल मानते हैं। जब भी कोई फेलियर हुआ, उनकी मां ने उन्हें संभाला। आज उनकी मां बीकानेर में ब्यूटीपार्लर चलाती हैं और मेहुल की सफलता पर गर्व करती हैं। वहीं, उनके बड़े भाई देवेंद्र पुरोहित हमेशा उनके साथ खड़े रहे और कंपनी को आगे बढ़ाने में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया।

सफलता की ऊंचाइयां

मेहुल को Economic Times Young Industry Leaders Award से नवाजा गया है, जिसे बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद ने दिया। 2022 में उन्हें “एशिया का सबसे युवा उद्यमी” का खिताब भी मिला।

डिजिटल दुनिया का अर्जुन

मेहुल ने बिना किसी औपचारिक शिक्षा या बड़े संसाधनों के अपने हुनर से डिजिटल ब्रांडिंग के क्षेत्र में अपना नाम बनाया। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर जज्बा और मेहनत हो, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।

आज मेहुल पुरोहित सिर्फ बीकानेर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं। उनका सफर दिखाता है कि अगर गूगल और यूट्यूब जैसे साधनों को सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो कोई भी “एकलव्य” अपनी सफलता का “धनुर्विद्या” हासिल कर सकता है।

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