Mirzapur : सारीपट्टी, मिर्ज़ापुर के चील्ह थाना क्षेत्र में शराब माफिया ने सरकार के कानून-कायदे को ठेंगा दिखा दिया है। सागरपुर के नाम पर सरकारी ठेका कागजों में भले सही हो, लेकिन हकीकत में सारीपट्टी गांव के बीचो-बीच चल रहा है। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा खतरे में है, लेकिन प्रशासन आंख मूंदकर बैठा है।
कागजों में सागरपुर, हकीकत में सारीपट्टी
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, यह ठेका सागरपुर में होना चाहिए था। लेकिन असल में यह सारीपट्टी गांव के रिहायशी इलाके में धड़ल्ले से चल रहा है। ठेके की मालकिन रीता दुबे और मकान मालिक बसंत बिंद के संरक्षण में यह गोरखधंधा चल रहा है। झरोखे के जरिए शराब बेचने की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
ग्रामीणों का आरोप: पुलिस और माफिया की मिलीभगत
ग्रामीणों का कहना है कि ठेका 24 घंटे खुला रहता है। शराबियों के आतंक से महिलाओं और बच्चियों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। कई बार शराब के नशे में लोग गली-मोहल्ले में बवाल करते हैं। महिलाओं ने कई बार शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने हर बार मामले को दबा दिया।
महिलाओं का गुस्सा: जलाए 1.26 लाख की शराब
मई 2024 में ग्रामीण महिलाओं ने ठेके पर धावा बोल दिया था। उन्होंने शराब की पेटियां सड़क पर लाकर जला दी थीं। इसके बाद जिला आबकारी अधिकारी ज्ञानेंद्र पांडेय ने जांच का आश्वासन दिया था। लेकिन छह महीने बाद भी अवैध कारोबार बदस्तूर जारी है। अब नए आबकारी अधिकारी ने मामले में अनभिज्ञता जताई है।
रोजाना घरों में हो रहा झगड़ा
शराब की वजह से हर घर में कलह बढ़ गई है। बच्चों तक को शराब की लत लग गई है। महिलाएं परेशान हैं कि नशे में धुत लोग उनके साथ बदसलूकी करते हैं। ठेका बंद कराने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रदर्शन किया, लेकिन प्रशासन ने इसे अनसुना कर दिया।
पुलिस-प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि यह ठेका पुलिस और माफिया की मिलीभगत से चल रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी ने उनके इरादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कागजों में ठेका सागरपुर का है, लेकिन सारीपट्टी में चल रहा है। नियमों के अनुसार, रिहायशी इलाके में शराब की दुकान नहीं हो सकती, लेकिन यहां तो कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
योगी सरकार के दावे पर लगा सवालिया निशान
योगी आदित्यनाथ सरकार कानून व्यवस्था सुधारने के दावे करती है। लेकिन मिर्ज़ापुर की यह हकीकत उन दावों की पोल खोल रही है। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा खतरे में है। प्रशासन की उदासीनता और पुलिस की मिलीभगत ने यह साबित कर दिया है कि कानून केवल कागजों पर है।
ग्रामीणों का अल्टीमेटम
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही ठेका बंद नहीं हुआ, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई करेगा या फिर इसे माफिया का खेल ही मान लिया जाएगा?
मिर्ज़ापुर की सड़कों पर गूंज रहे नारों ने एक बात साफ कर दी है—अब गांव की महिलाएं चुप बैठने वाली नहीं हैं। योगी सरकार को जवाब देना होगा कि उनके राज में माफिया कैसे बेखौफ हैं?